Monika garg

Add To collaction

लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ# नवरोज

नौरूज़; शाब्दिक रूप से "नया दिन"), ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है। प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। यह त्योहार समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है, क्योंकि नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह दिखाता है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता।

हिजरी शमसी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ या पहली फ़रवरदीन नव वर्ष का उत्सव दिवस है। नौरोज़ का उदगम तो प्राचीन ईरान ही है किंतु वर्तमान समय में ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, आज़रबाइजान, भारत, तुर्की, इराक़ और जार्जिया के लोग नौरोज़ के उत्सव मनाते हैं। नौरोज़ का उत्सव "इक्वीनाक्स" से आरंभ होता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है समान। खगोलशास्त्र के अनुसार यह वह काल होता है जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इक्वीनाक्स उस क्षण को कहा जाता है कि जब सूर्य, सीधे भूमध्य रेखा से ऊपर होकर निकलता है। हिजरी शमसी कैलेण्डर का नव वर्ष इसी समय से आरंभ होता है और यह नए वर्ष का पहला दिन होता है। ईसवी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च से आरंभ होता है।

यह एक ऐसा बेहतरीन अवसर होता है जो पिछले वर्ष की थकावट व दिनचर्या के कामों से छुटकारा व विश्राम की संभावना उत्पन्न कराता है। नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भर अनुभव से जारी रखने का नाम है। प्रकृति की हरियाली और हरी भरी पत्तियों से वृक्षों का श्रंगार, नये व उज्जवल भविष्य का संदेश सुनाती है। इस अवसर पर प्रचलित बेहतरीन परंपराओं में से एक है सगे संबंधियों से भेंट। इस परंपरा में इस्लाम धर्म में बहुत अधिक बल दिया गया है। यहाँ तक कि नौरोज़ को सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर माना जाता है जो परिवारों के मध्य लोगों के संबंधों को अधिक सृदृढ़ करता है। यह त्योहार समाज में नववर्ष के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है

नववर्ष के पहले ही दिन से लोगों का एक दूसरे के यहां आने जाने का क्रम आरंभ हो जाता है। समस्त परिवारों में यह प्रचलन है कि वे सबसे पहले परिवार के सबसे बड़े सदस्य के यहां जाते हैं और उन्हें नववर्ष की बधाई देते हैं। उसके बाद परिवार के बड़े सदस्य अन्य लोगों के यहां बधाई के लिए जाते हैं। इस अवसर पर परिवार के अन्य सदस्य एक साथ एकत्रित होते हैं और यह क्रम तेरह तारीख़ तक या महीने के अंत तक जारी रहता है। परिवार के सदस्यों, निकटवर्तियों, मित्रों और पड़ोसियों से मिलने के अतिरिक्त दुखी व संकटग्रस्त लोगों से भी मिलना, नौरोज़ के प्रचलित संस्कारों में से एक है। इस भेंट व मेल मिलाप में यह भी प्रचलित है कि पहले उस व्यक्ति के घर जाते हैं जिसके वर्ष के दौरान किसी सगे संबंधी का निधन हो गया हो। इस संस्कार को नोए ईद भी कहा जाता है। यदि किसी घर में किसी सगे संबंधी का निधन हो जाता है जो शोकाकुल परिवार ईद के पहले दिन घर में बैठता है और सामान्य रूप से परिवार के बड़े सदस्य शोकाकुल परिवार से काले कपड़े उतरवाते हैं और उन्हें नये कपड़े उपहार में देते हैं। ईद के पहले दिन या नोए ईद का प्रतीकात्मक आयाम है और साथ ही नौरोज़ के मेल मिलाप का वातावरण भी उपलब्ध कराता है। भेंटकर्ता, ईद के पहले दिन शोकाकुल परिवार को सांत्वना नहीं देते बल्कि उनके लिए ख़ुशी की कामना करते हैं।

   17
3 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Nov-2022 12:29 AM

बहुत खूब रचना👌🌺🌸

Reply

Sachin dev

21-Nov-2022 04:52 PM

Nice 👌

Reply

Gunjan Kamal

18-Nov-2022 08:49 AM

शानदार

Reply